शीशे के पीछे का सच।
शिक्षा की धौंस में कैद कैमरे से लैस कंक्रीट के जंगल से निकल जंगल में पहुंचे, हम साक्षर। झुकना सीखा नहीं न झुकने को आज़ादी का प्रतीक मान भूल बैठे की हाथ जोड़ झुकना बड़प्पन का प्रतीक था। वो धन्य थे की हम आये हम ही हैं जो कुछ करेंगे ब्रांडेड कपड़ों की रगड़ के बीच […]
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