शीशे के पीछे का सच।

शिक्षा की धौंस में कैद कैमरे से लैस कंक्रीट के जंगल से निकल जंगल में पहुंचे, हम साक्षर। झुकना सीखा नहीं न झुकने को आज़ादी का प्रतीक मान भूल बैठे की हाथ जोड़ झुकना बड़प्पन का प्रतीक था। वो धन्य थे की हम आये हम ही हैं जो कुछ करेंगे ब्रांडेड कपड़ों की रगड़ के बीच […]

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हिन्दमुसाइखत्यादि।

अँधेरा चाहे गोरा हो या काला मुर्दे नहीं पालता मुर्दों का गला दबाकर ज़िंदा शैतान पलते हैं। अँधेरा चाहे पैसे का हो बी.टी कपास का चाहे अन्न के दाने की राख का चुभता है आँखों की पुतली में  अंधकार बनकर। धर्म- जो अँधेरे से रौशनी की ओर ले जाये रौशनी- जिसपर रोटी सिक सके बाजरे, गेहूं, […]

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